मैं अपने पति के साथ रहना चाहती हूं', सिंगर की पत्नी ने दर्ज कराया था मुकदमा: फैमिली कोर्ट में पेश हुए उदित नारायण
बॉलीवुड के मशहूर गायक उदित नारायण का नाम संगीत जगत में किसी परिचय का मोहताज नहीं है। उनकी मधुर आवाज़ ने दशकों तक श्रोताओं के दिलों पर राज किया है। हालांकि, हाल ही में उनके व्यक्तिगत जीवन से जुड़ा एक मामला सुर्खियों में है, जहां उनकी पहली पत्नी, रंजना नारायण झा, ने दांपत्य जीवन पुनर्स्थापना के लिए फैमिली कोर्ट में मुकदमा दायर किया है। इस लेख में, हम इस मामले की विस्तृत जानकारी, कानूनी पहलू, और इससे जुड़े सामाजिक मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
उदित नारायण का प्रारंभिक जीवन और विवाह
उदित नारायण का जन्म बिहार के सुपौल जिले के बायस गोठ गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सुपौल के जागेश्वरी हाई स्कूल से पूरी की और बाद में उच्च शिक्षा के लिए नेपाल के त्रिभुवन विश्वविद्यालय गए। संगीत के प्रति उनकी रुचि ने उन्हें नेपाली रेडियो पर मैथिली और नेपाली गाने गाने का अवसर दिलाया। संगीत में करियर बनाने के उद्देश्य से, वे 1978 में मुंबई आए। 1984 में, पारिवारिक निर्णय के तहत, उनकी शादी रंजना नारायण झा से हुई। हालांकि, मुंबई में रहते हुए, उन्होंने 1985 में नेपाली गायिका दीपा गहतराज से दूसरी शादी की, जिससे उनके बेटे आदित्य नारायण का जन्म हुआ।
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कानूनी विवाद की पृष्ठभूमि
रंजना नारायण झा ने 2022 में सुपौल फैमिली कोर्ट में दांपत्य जीवन पुनर्स्थापना (सेक्शन 9) के तहत मुकदमा दायर किया। उनका कहना है कि वे अक्सर बीमार रहती हैं और एक पत्नी के नाते चाहती हैं कि उनके पति उनके साथ रहें और उनकी देखभाल करें। उन्होंने आरोप लगाया कि उदित नारायण ने उन्हें पत्नी का अधिकार नहीं दिया और अपने वादों को पूरा नहीं किया। कोर्ट ने कई बार नोटिस जारी किया, लेकिन उदित नारायण की अनुपस्थिति के कारण, न्यायालय ने उन पर 10 रुपये का आर्थिक दंड लगाया और जवाब दाखिल करने का अंतिम अवसर प्रदान किया।
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कानूनी दृष्टिकोण से मामला
भारतीय कानून के तहत, हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 9 (सेक्शन 9) में दांपत्य अधिकारों की पुनर्स्थापना का प्रावधान है। यदि एक पति या पत्नी बिना उचित कारण के अपने साथी से अलग हो जाते हैं, तो पीड़ित पक्ष अदालत में दांपत्य अधिकारों की पुनर्स्थापना के लिए याचिका दायर कर सकता है। इस मामले में, रंजना नारायण झा ने इसी प्रावधान के तहत मुकदमा दायर किया है, जिसमें वे अपने पति के साथ रहने की मांग कर रही हैं।
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सामाजिक और नैतिक पहलू
यह मामला केवल कानूनी विवाद तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें सामाजिक और नैतिक मुद्दे भी जुड़े हैं। एक पत्नी के अधिकार, पति की जिम्मेदारियाँ, और बहुविवाह जैसे विषय इस मामले में प्रमुख हैं। रंजना नारायण झा का कहना है कि उन्होंने सामाजिक प्रतिष्ठा और आत्महत्या की धमकियों के कारण वर्षों तक चुप्पी साधी, लेकिन अब वे अपने अधिकारों के लिए लड़ रही हैं।
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वर्तमान स्थिति और आगे की राह
कोर्ट ने उदित नारायण को जवाब दाखिल करने का अंतिम अवसर प्रदान किया है, और मामले की अगली सुनवाई 28 जनवरी 2025 को निर्धारित की गई है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अदालत इस मामले में क्या निर्णय लेती है और यह निर्णय समाज में वैवाहिक संबंधों और अधिकारों के प्रति क्या संदेश देता है।
निष्कर्ष
उदित नारायण और रंजना नारायण झा का यह मामला कानूनी, सामाजिक, और नैतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। यह न केवल व्यक्तिगत अधिकारों और जिम्मेदारियों की बात करता है, बल्कि समाज में वैवाहिक संबंधों की जटिलताओं को भी उजागर करता है। आने वाले समय में, इस मामले का निर्णय और इसके प्रभाव पर गहन दृष्टि रखना आवश्यक होगा।
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